महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित चिकित्सा अधिकारी (गट अ) संघ, जिसे संक्षेप में मैग्मो कहा जाता है, का इतिहास अत्यंत प्रेरणादायी है। 1980 के दशक की शुरुआत में राज्यभर के चिकित्सा अधिकारी अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। सेवा शर्तें अनिश्चित थीं, पदोन्नतियाँ लंबित रहती थीं और स्थानांतरण अक्सर मनमाने तरीके से होते थे। 1960-70 के बीच संगठन बनाने के प्रयास हुए थे, परंतु वे टिकाऊ नहीं रहे।
इसी कठिन समय में डॉ. सुजाता ढवळे ने नेतृत्व संभाला। अपने सहयोगी डॉ. डी.डी. शिंदे के साथ उन्होंने पूरे महाराष्ट्र का दौरा किया और चिकित्सा अधिकारियों को एक मंच पर लाने का कार्य शुरू किया।
इन अथक प्रयासों से मैग्मो की स्थापना हुई — एक ऐसा संगठन जिसने चिकित्सा अधिकारियों के अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष का बीड़ा उठाया। पहली राज्य स्तरीय अधिवेशनें औरंगाबाद और नागपुर में हुईं, जिसने सरकार का ध्यान वास्तविक समस्याओं की ओर आकर्षित किया और निर्णय प्रक्रिया की नींव रखी।
डॉ. सुजाता ढवळे मैग्मो की संस्थापक अध्यक्ष बनीं। परंतु उनका योगदान केवल इसी संगठन तक सीमित नहीं था। उन्होंने कई अन्य संगठनों में भी सक्रिय भूमिका निभाई और अपने जीवन से यह साबित किया कि साहस और संकल्प से समाज की दिशा बदली जा सकती है।
आज मैग्मो एक सशक्त और प्रतिष्ठित संगठन है। इसकी हर उपलब्धि डॉ. सुजाता ढवळे की दूरदृष्टि और संघर्ष की जीवित मिसाल है।
मैग्मो का इतिहास केवल एक संगठन की कहानी नहीं है, बल्कि यह डॉ. सुजाता ढवळे की दूरदृष्टि और संघर्ष की अमर गाथा है। उनकी प्रेरणा आज भी हर चिकित्सा अधिकारी को शक्ति प्रदान करती है।
उनके जीवन, संघर्ष और विरासत के बारे में और जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ:
और पढ़ें