पिछले समय में सरकारी डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों पर लोगों का भरोसा कम होता दिखाई देता है। इसी तरह डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी नौकरी करने के लिए भी तैयार नहीं होते। अब तक न प्रशासन और न ही किसी भी दल की सरकार ने इस पर ध्यान दिया है। सरकारी डॉक्टर कितने महत्वपूर्ण हैं—और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पताल तथा शासकीय मेडिकल कॉलेजों का महत्त्व—यह पहली बार सबको कोरोना काल में स्पष्ट हुआ। कुछ वर्ष पहले स्थिति ऐसी नहीं थी; लगभग 20 वर्ष पहले तक जनसामान्य का सरकारी अस्पतालों और सरकारी डॉक्टरों पर पूरा विश्वास था।
प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ डॉक्टर अपने-अपने जिलों में आकर सरकारी अस्पतालों में सेवा शुरू कर देते थे। वे पूरे जिले/तालुके/गाँव के लिए पूर्णतः समर्पित रहते। अनेक डॉक्टर शाम को अपने घर पर भी मरीज़ देखते। कई जगह गाँव के बुज़ुर्ग उन्हें फुर्सत में छोटा निजी क्लिनिक चलाने के लिए जगह दे देते। फलतः अधिकांश चिकित्सा अधिकारी मुख्यालय में रहते और 24×7 सेवा देते। हर स्तर पर MO उपलब्ध रहते और जनता में उनका गहरा विश्वास था। कई स्थानों पर दूसरे जिलों से आए MO जहाँ नियुक्त हुए वहीं स्थायी हो गए। चिकित्सा पेशे के सम्मान के कारण स्थानीय प्रतिनिधि और ग्रामीण लोग भोजन व रहने की जगह तक उपलब्ध कराते थे।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रायः आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि के विद्यार्थी MBBS करते थे; इसलिए डॉक्टर बनने के बाद उनकी अपेक्षाएँ भी साधारण रहतीं। उस समय निजी क्लिनिक भी कम थे, इसलिए महाराष्ट्र की सरकारी स्वास्थ्य-व्यवस्था बहुत अच्छी और सक्षम थी; हम समय-समय पर आने वाली महामारियों से निपट पाते थे। पर निजी मेडिकल कॉलेज बढ़े; MBBS/MD के लिए लाखों-करोड़ों की कैपिटेशन फीस बढ़ी; ऐसे कॉलेजों से निकले डॉक्टरों के लिए सरकारी तंत्र में आने से बेहतर अपना निजी क्लिनिक खोलकर अधिक लाभ कमाना आसान हो गया। कॉरपोरेट क्षेत्र ने मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल भी खड़े किए, जिनमें गैर-डॉक्टर व्यवसायियों ने निवेश किया और जनता को आकर्षित किया। धीरे-धीरे सरकारी डॉक्टरों को भी इन अस्पतालों में सरकारी वेतन से दुगुना-तिगुना देकर रख लिया गया। नतीजतन, जो सेवाएँ पहले सरकारी तंत्र में मुफ्त मिलती थीं, उनके लिए आम लोगों को पैसे देने पड़े।
लगभग 15–20 वर्षों से सरकारी तंत्र में डॉक्टरों की घटती संख्या पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया? इस गंभीर विषय का जिम्मेदार कौन? वैश्विक महामारी के समय सरकारी व्यवस्था में डॉक्टर बहुत कम थे— इसकी जिम्मेदारी किसकी? सरकार की नीतियाँ स्वास्थ्य क्षेत्र की ओर कम क्यों रहीं? शायद 2020 की महामारी न आती तो किसी को भान न होता कि सरकारी डॉक्टरों की भारी कमी है।
कठिनाइयाँ और समस्याएँ असंख्य हैं, पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि डॉक्टर सरकारी तंत्र में क्यों नहीं आ रहे।
सरकारी तंत्र में आने वाले MOs अक्सर परिस्थितिवश आते हैं—वे सामान्यतः गरीबी से पढ़े-लिखे डॉक्टर होते हैं; पूर्व अनुभव नहीं होता, इसलिए उन्हें समझना आवश्यक है। एक-दो वर्ष में वे स्थानीय समाज और स्वास्थ्य-तंत्र समझ लेते हैं। यदि लोग और सरकार प्रारंभिक 2–3 वर्षों में ऊपर बताई दिक्कतें सुलझा दें, तो रिक्त पद शीघ्र भरेंगे। सभी MOs हर तरह से परिपूर्ण नहीं होते, पर यदि सरकार इन सरल, बुनियादी समस्याओं को तत्परता और प्राथमिकता से सुलझाए, तो हमारी स्वास्थ्य-व्यवस्था फिर से सक्षम हो जाएगी। कम से कम इस कोरोना काल में तो सरकार को इस गंभीर विषय को समझकर समाधान करना चाहिए—वरना ये प्रश्न कभी हल नहीं होंगे।
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प्रेम करतोस माझ्यावर, मला पण करू देत जा...
प्रेम करतोस माझ्यावर, मला पण करू देत जा...||
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!
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बाहेर कामावर जातांना सर्व तयारी करून पाठविते...
जणू काही शाळेत जाताना आई करायची तेच आठवते...||
माझे काम मला कधी तरी करू देत जा...
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!
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ओ.पी.डी. ला असताना पण ,मेसेज करून काही विसरले हे सांगते...
आता परत येणार कसे ? हे उत्तर देखील तूम सांगते...||
जमलं..तर तू पण ओ.पी.डी. ला सोबतच येत जा...
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!
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तू पण डॉक्टर मी पण डॉक्टर,पॅशंट चे TREATMENT मात्र मलाach विचारते...
मी सांगितल्यावर...हे तर मला आधीच माहित होत असं सांगते...||
माझा इलाज मात्र तूच करत जा...
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!
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मी मोठा तू लहान ,तरी तुलचबर असते...
म्हणूनच लोकं म्हणतात,जसं दिसते तसंच नसते...||
माझे बरंच नसले तरी निदान ऐकून तरी घेत जा...
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!
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असे मित्र नकोत,मैत्रिणी तर बिलकुल नसाव्यात...
मित्र-मैत्रिणी नाही ना, फक्त आठवणीत तरी असाव्यात...||
नाईट मधली थर्टी तू पण कधी भेट जा...
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!
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अश्रिंच रहा मैत्रिणी सारखी,सर्व सुख:दुख:त आयुष्यमर..
हे जग देखील वाटते लहान,तुझ्यास त्या हसऱया गालासमोर...||
नेहमी मला तसाथ अश्रिंच देत जा...
...बायको .....मला थोड तरी सिरीयसली घेत जा..!!